मनोरमा
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जगदीशपुर के दिवानसाहब की बेटी जितनी सुंदर थी उतनी ही...
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जगदीशपुर के दिवानसाहब की बेटी जितनी सुंदर थी उतनी ही गुणवती और विचारवान भी. वह मन ही मन अपने शिक्षक एवं समाज सुधारक चक्रधर को चाहने लगी. किंतु अचानक एक दिन उस पर राजा साहब की नजर पड़ गई और वह अपनी तीन पत्नियों के होते हुए भी मनोरमा पर मोहित हो गए. क्या वह मनोरमा को अपनी रानी बना सके? अथवा मनोरमा अपना प्यार पा सकी? सरल और सुबोध भाषा में लिखित 'मनोरमा' सभी वर्गों के पाठको के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है.
- Format:Paperback
- Pages:128 pages
- Publication:
- Publisher:Vishv Books
- Edition:
- Language:hin
- ISBN10:8179872815
- ISBN13:9788179872819
- kindle Asin:8179872815









