लावा

  1. home
  2. Books
  3. लावा

लावा

4.18 182 17
Share:

लावा कुछ बिछड़ने के भी तरीक़े हैं खैर, जाने दो जो गया जैसे...

Also Available in:

  • Amazon
  • Audible
  • Barnes & Noble
  • AbeBooks
  • Kobo

More Details

लावा कुछ बिछड़ने के भी तरीक़े हैं खैर, जाने दो जो गया जैसे थकन से चूर पास आया था इसके गिरा सोते में मुझपर ये शजर क्यों इक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में ढूँढ़ता फिरा उसको वो नगर-नगर तन्हा आज वो भी बिछड़ गया हमसे चलिए, ये क़िस्सा भी तमाम हुआ ढलकी शानों से हर यक़ीं की क़बा ज़िंदगी ले रही है अंगड़ाई पुर-सुकूँ लगती है कितनी झील के पानी पे बत पैरों की बेताबियाँ पानी के अंदर देखिए बहुत आसान है पहचान इसकी अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है जो मंतज़िर न मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा कि हमने देर लगा दी पलटके आने में आज फिर दिल है कुछ उदास-उदास देखिए आज याद आए कौन न कोई इश्क़ है बाक़ी न कोई परचम है लोग दीवाने भला किसके सबब से हो जाएँ

  • Format:Hardcover
  • Pages:147 pages
  • Publication:2012
  • Publisher:राजकमल प्रकाशन
  • Edition:
  • Language:
  • ISBN10:812672210X
  • ISBN13:9788126722105
  • kindle Asin:812672210X

About Author

Javed Akhtar

Javed Akhtar

4.15 2385 228
View All Books

Related BooksYou May Also Like

View All